• स्वास्थ्य और जीवन शैली2 वर्षों पहले

    कोई भी रोग हो चाहे, कैंसर भी क्यों न हो, वो भी अल्कलाइन वातावरण में पनप नहीं सकता

    कई दिनों से मैं सोच रहा था कि आपको एक ऐसी चीज बताई जाय जिससे कि आपके शरीर के सभी रोग स्वतः ही समाप्त हो जाए, जैसे डायबिटीज, कैंसर, हार्ट, ब्लड प्रेशर, जोड़ों का दर्द, UTI – पेशाब के रोग, Osteoporosis, सोरायसिस, यूरिक एसिड का बढ़ना, गठिया – Gout, थाइरोइड, गैस, बदहजमी, दस्त, हैजा, थकान, किडनी के रोग, पेशाब सम्बंधित रोग, पत्थरी और अन्य कई प्रकार के जटिल रोग।

    इन सबको सही करने का सबसे सही और सस्ता उपयोग है शरीर को एल्कलाइन कर लेना।

    पी एच लेवल क्या होता है.?
    इसको समझने के लिए सबसे पहले आपको PH को समझना होगा, हमारे शरीर में अलग अलग तरह के द्रव्य पाए जाते हैं, उन सबकी PH अलग अलग होती है।

    o हमारे शरीर की सामान्य Ph 7.35 से 7.41 तक होती है,
    o PH पैमाने में PH 1 से 14 तक होती है,
    o 7 PH न्यूट्रल मानी जाती है, यानी ना एसिडिक और ना ही एल्कलाइन,
    o 7 से 1 की तरफ ये जाती है तो समझो एसिडिटी बढ़ रही है,
    o और 7 से 14 की तरफ जाएगी तो एल्कलॉइनिटी या क्षारीयता बढ़ रही है।

    अगर हम अपने शरीर के अन्दर पाए जाने वाले विभिन्न द्रव्यों की PH को अल्कलाइन की तरफ लेकर जाते हैं। तो हम बहुत सारी बीमारियों के मूल कारण को हटा सकते हैं, और उनको हमेशा के लिए क्योर या एकदम ठीक कर सकते हैं।

    कैंसर एवं PH (कैंसर)

    उदहारण के तौर पर सभी तरह के कैंसर सिर्फ एसिडिक एनवायरमेंट में ही पनपते हैं, क्यूंकि कैंसर की कोशिका में शुगर का ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में फर्मेंटेशन होता है जिससे अंतिम उत्पाद के रूप में लैक्टिक एसिड बनता है और यही लैक्टिक एसिड, एसिडिक एनवायरमेंट पैदा करता है जिस से वहां पर एसिडिटी बढती जाती है और कैंसर की ग्रोथ बढती जाती है।

    और ये हम सभी जानते हैं के कैंसर होने का मूल कारण यही है के कोशिकाओं में ऑक्सीजन बहुत कम मात्रा में और ना के बराबर पहुँचता है। और वहां पर मौजूद ग्लूकोस लैक्टिक एसिड में बदलना शुरू हो जाता है।

    गाउट और PH (गठिया)

    दूसरा उदहारण है के गाउट (Gout) जिसको गठिया भी कहते हैं, इसमें रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे रक्त एसिडिक होना शुरू हो जाता है, जितना ब्लड अधिक एसिडिक होगा उतना ही यूरिक एसिड उसमे ज्यादा जमा होना शुरू हो जायेगा। अगर हम ऐसी डाइट खाएं जिससे हमारा पेशाब अल्कलाइन हो जाए तो ये बढ़ा हुआ यूरिक एसिड अल्कलाइन यूरीन में आसानी से बाहर निकल जायेगा।

    UTI और PH (पेशाब का संक्रमण)

    तीसरा उदहारण है के UTI जिसको यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन कहते हैं, इसमें मुख्य रोग कारक जो बैक्टीरिया है वो E.Coli है, ये बैक्टीरिया एसिडिक वातावरण में ही ज्यादा पनपता है। इसके अलावा कैंडिडा अल्बीकेन्स नामक फंगस भी एसिडिक वातावरण में ही ज्यादा पनपता है। इसीलिए UTI तभी होते हैं जब पेशाब की PH अधिक एसिडिक हो।

    किडनी औऱ PH

    चौथी एक और उदाहरण देते हैं के किडनी की समस्या मुख्यतः एसिडिक वातावरण में ही होती है, अगर किडनी का PH हम एल्कलाइन कर देंगे तो किडनी से सम्बंधित कोई भी रोग नहीं होगा। मसलन क्रिएटिनिन, यूरिक एसिड, पत्थरी इत्यादि समस्याएँ जो भी किडनी से सम्बंधित हैं वो नहीं होंगी।

    आजकल हम जो भी भोजन कर रहें हैं वो 90 प्रतिशत तक एसिडिक ही है, और फिर हमारा सवाल होता है कि हम सही क्यों नहीं हो रहे या फिर कहते हैं कि हमने ढेरों इलाज करवाए मगर आराम अभी तक नहीं आया। बहुत दवा खायी मगर फिर भी आराम नहीं हो रहा। तो उन सबका मुख्यतः कारण यही है कि उनका PH लेवल कम हो जाना अर्थात एसिडिक हो जाना। आज हम इसी विषय पर बात करेंगे के कैसे हम अपना PH level बढ़ाएं और इन बिमारियों से मुक्ति पायें।

    कैसे बढ़ाएं, PH लेवेल (शरीर का पी एच लेवेल कैसे सही करें)?

    1. कच्ची सब्जियां
      विशेषकर लौकी, पालक, चौलाई, हरी अजवायन, गाजर, अदरक, पोदीना, गोभी, पत्ता गोभी, कद्दू, मूली, शिमला मिर्च, खीरा इत्यादि हरी पत्तेदार सब्जियां। इन सब सब्जियों को कच्चा या जूस बना कर ही सेवन करना है, इनको सब्जी की तरह पकाना नहीं है बल्कि जैसा प्रकृति ने दिया है वैसा ही इस्तेमाल करना है।
    2. फल
      सेब, खुबानी, ऐवोकैडो, केले, जामुन, चेरी, खजूर, अंजीर, अंगूर, अमरुद, नींबू, आम, जैतून, नारंगी, संतरा, पपीता, आड़ू, नाशपाती, अनानास, अनार, खरबूजे, किशमिश, इमली, टमाटर इत्यादि फल।
    3. इसके अलावा तुलसी, सेंधा नमक, अजवायन, दालचीनी, बाजरा इत्यादि।
      अल्कलाइन वाटर या क्षारीय पानी बनाने की पहली विधि
      रोगी हो या स्वस्थ उसको यहाँ बताया गया येअल्कलाइन या क्षारीय पानी ज़रूर पीना है।

    इसके लिए ज़रूरी सामान – 1 निम्बू, 25 ग्राम खीरा, 5 ग्राम अदरक, 21 पोदीने की पत्तियां, 21 पत्ते तुलसी, आधा चम्मच सेंधा नमक, चुटकी भर मीठा सोडा। अभी इन सभी चीजों को लेकर पहले छोटे छोटे टुकड़ों में काट लीजिये, निम्बू छिलके सहित काटने की कोशिश करें। एक कांच के बर्तन में इन सब चीजों को डाल दीजिये और इसमें डेढ़ गिलास पानी डाल दीजिये, पूरी रात इस पानी को ढक कर पड़ा रहने दें। और सुबह उठ कर शौच वगैरह जाने के बाद खाली पेट सब से पहले इसी को छान कर पीना है। छानने से पहले इन सभी चीजों को हाथों से अच्छे से मसल लीजिये और फिर इसको छान कर पीजिये।

    अल्कलाइन या क्षारीय बनाने के लिए दूसरी विधि
    1 लौकी जिसे दूधी भी कहा जाता हैं का जूस एक गिलास इसमें 5-5 पत्ते तुलसी और पोदीने के डालिए इसमें सेंधा नमक या काला नमक डाल कर पियें। ध्यान रहे के इनको सुबह खाली पेट ही पीना है, अर्थात इनसे पहले कुछ भी खाना पीना नहीं है और इनको पीने के बाद एक घंटे तक कुछ भी खाना पीना नहीं है।

    चाय, कॉफ़ी, चीनी, रिफाइंड तेल
    ये सब ज़हर के समान है, अगर आप किसी रोग से ग्रस्त हैं तो सबसे पहले आपको इनको छोड़ना होगा, और इसके साथ ऊपर बताये गए फल सब्जियां कच्चे ही सेवन करें।

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