रोग के परिचय
चेचक के रोग में बुखार के बाद शरीर पर लाल दाने निकलते हैं । ये दाने 2 से 3 दिन के बाद फफोले का रूप ले लेते हैं । 4 से 5 दिन में इन दानों में से पपड़ी जमकर नीचे गिरने लगती है । चेचक में बुखार और प्रदाह (जलन) के कारण रोगी को काफी बैचेनी होती है । इस रोग को ठीक होने में कम से कम 7 से 10 दिन तक लग जाते हैं ।
चिकनपॉक्स रोग के कारण
चिकनपॉक्स एक वायरल इंफेक्शन है । यह रोग हवा के माध्यम से या एक संक्रमित व्यक्ति के छाले से लार, बलगम या तरल पदार्थ के संपर्क में आने से फैल सकता है ।
चिकनपॉक्स के लक्षण
o शरीर का तापमान बढ़ जाता है ।
o यह बुखार 104 डिग्री फारेनहाइट हो जाता है।
o रोगी को बेचैनी होने लगती है ।
o उसे बहुत ज्यादा प्यास लगती है और पूरे शरीर में दर्द होने लगता है ।
o दिल की धड़कन तेज हो जाती है और साथ में जुकाम भी हो जाता है ।
o 2-3 दिन के बाद बुखार तेज होने लगता है ।
o शरीर पर लाल-लाल दाने निकलने लगते हैं । दानों में पानी जैसी मवाद पैदा हो जाती है और 7 दिनों में दाने पकने लगते हैं (साबधान उसे नाखून से फोड़े नही इसे बीमार फैलता है ) जो कि धीरे-धीरे सूख जाते हैं । दानों पर खुरण्ड (पपड़ी) सी जम जाती है । कुछ दिनों के बाद खुरण्ड (पपड़ी) तो निकल जाती है लेकिन उसके निशान रह जाते हैं ।
भोजन और परहेज
- छोटे बच्चों को चेचक(chicken pox) होने पर दूध, मूंग की दाल, रोटी और हरी सब्जियां तथा मौसमी फल खिलाने चाहिए या उनका जूस पिलाना चाहिए ।
- चेचक के रोग से ग्रस्त रोगी के घर वालों को खाना बनाते समय सब्जी में छोंका नहीं लगाना चाहिए ।
- रोगी को तली हुई चीजें, मिर्चमसाले वाला भोजन और ज्यादा ठंड़ी या ज्यादा गर्म चीजें नहीं देनी चाहिए ।
- दरवाजे पर नीम के पत्तों की टहनी लटका देनी चाहिए ।
- चिकन पाक्स होने पर बाहर और भीड वाली जगह पर जाने से परहेज करें । हो सके तो इस दौरान लोगों से दूर रहें ।
आयुर्वेदिक उपचार
- नीम की पत्तियों को पानी में उबाल उस पानी से नहाने से चर्म रोग दूर होते हैं और ये खासतौर से चेचक के उपचार में सहायक होता है और उसके विषाणु को फैलने न देने में सहायक होता है ।
- एक मुट्ठी नीम की पत्तियां लेकर उनका पेस्ट बना लें । नीम के पानी से नहाने के बाद चिकनपॉक्स वाले हिस्से पर इस पेस्ट को लगा लें । हालांकि इससे त्वचा में खुजली हो सकती है, लेकिन त्वचा के इलाज के लिए बहुत अच्छा उपाय है ।
- नीम के तेल में आक के पत्तों का रस मिलाकर चेचक (बड़ी माता) के दानों पर लगाने से लाभ होता है ।
- चेचक के रोगी का बिस्तर बिल्कुल साफ-सुथरा रखें और उसके बिस्तर पर नीम की पत्तियां रख दें । फिर नीम के मुलायम पत्तों को पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें । इस 1-1 गोली को सुबह और शाम दूध के साथ रोगी को खिलायें । गर्मी का मौसम हो तो नीम की टहनी से हवा करने से चेचक के दानों में मौजूद जीवाणु जल्द ही समाप्त हो जाते हैं । तवे पर मुनक्का को भूनकर रोगी को खिलाना चाहिए ।
- यदि चेचक के रोगी को अधिक प्यास लगती हो तो 1 किलो पानी में 10 ग्राम कोमल पत्तियों को उबालकर जब आधा पानी शेष रह जायें, तब इसे छानकर रोगी को पिला दें। इस पानी को पीने से प्यास के साथ-साथ चेचक के दाने भी सूख जाते हैं ।
- 5 नीम की कोंपल (नई पत्तियां) 2 कालीमिर्च और थोड़ी सी मिश्री लेकर सुबह-सुबह चबाने से या पीसकर पानी के साथ खाने से चेचक के रोग में लाभ होता है ।
- सुबह के समय रोगी को तुलसी के पत्तों का आधा चम्मच रस पिलाने से चेचक के रोग में लाभ होता है ।
- बुखार को कम करने के लिये तुलसी के बीज और धुली हुई अजवाइन को पीसकर रोगी को पानी के साथ दें ।